अक्सर हम अपने आस पास के सरकारी स्कूलो मे देखते है की स्कूली बच्चों को दोपहर का खाना दिया जाता है। क्या आप जानते है की यह खाना मिड डे मिल स्कीम के तहत दिया जाता है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि “What is Mid Day Meal Program?” आखिर यह योजना कब शुरू हुई? इसका उद्देश्य क्या है? और यह बच्चों के जीवन पर किस तरह असर डाल रही है? आइए इस योजना को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि कैसे यह लाखों छात्रों के भविष्य को संवार रही है।
भारत सरकार और राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयास से संचालित प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (मध्याह्न भोजन) योजना भारत में स्कूली बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। इसकी शुरुआत 15 अगस्त 1995 को हुई थी।
इस योजना के अंतर्गत शुरू में कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों को प्रति माह 3 किलोग्राम गेहूं या चावल प्रदान किया जाता था। लेकिन इससे छात्रों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पा रहा था। इसलिए, 1 सितंबर 2004 से छात्रों को पका पकाया भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था लागू की गई। योजना को और प्रभावी बनाने के लिए अक्टूबर 2007 में इसे उच्च प्राथमिक विद्यालयों तक विस्तारित कर दिया गया।

Table of Contents
What is Mid Day Meal Scheme?
मध्याह्न भोजन योजना को शुरू करने के पीछे निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य थे:
- स्कूली बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना।
- बच्चों की शिक्षा ग्रहण करने की क्षमता को बढ़ाना।
- विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाना और ड्रॉपआउट दर को कम करना।
- जाति, धर्म और वर्ग के भेदभाव को खत्म करना और बच्चों में भाईचारे की भावना विकसित करना।
- बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार करना ताकि वे कुपोषण से बच सकें।
Mid Day Meal Programme Coverage
विद्यालय का प्रकार | प्राथमिक विद्यालय | उच्च प्राथमिक विद्यालय | कुल विद्यालय |
---|---|---|---|
सरकारी/राजकीय | 17 | 634 | 651 |
परिषदीय | 87,095 | 45,713 | 1,32,808 |
सहायता प्राप्त | 520 | 7,523 | 8,043 |
मकतब/मदरसा | 31 | 489 | 520 |
कुल | 87,663 | 54,359 | 1,42,022 |
इस योजना से 1.13 करोड़ प्राथमिक स्तर के छात्र और 60.15 लाख उच्च प्राथमिक स्तर के छात्र लाभान्वित हो रहे हैं।
Mid Day Meal Chart and Menu
मिड डे मील योजना के तहत बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान किया जाता है, जिसमें कैलोरी और प्रोटीन की मात्रा का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक छात्र को सप्ताह में 4 दिन चावल और 2 दिन गेहूं से बने खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं।

निम्नलिखित तालिका में एक सामान्य मिड डे मील मेन्यू प्रस्तुत किया गया है:
दिन | मेन्यू |
---|---|
सोमवार | चावल, दाल, सब्जी |
मंगलवार | रोटी, सोयाबीन करी, सलाद |
बुधवार | खिचड़ी, पापड़, अचार |
गुरुवार | पुलाव, मिक्स वेज, दही |
शुक्रवार | रोटी, आलू-मटर की सब्जी, सलाद |
शनिवार | चावल, कढ़ी, सब्जी |
यह मेन्यू राज्यों और स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार भिन्न हो सकता है।
भोजन की पोषण संबंधी विशेषताएँ:
स्तर | ऊर्जा (कैलोरी) | प्रोटीन (ग्राम) |
---|---|---|
प्राथमिक विद्यालय | 450 | 12 |
उच्च प्राथमिक विद्यालय | 700 | 20 |
योजना के तहत भोजन में दाल, सब्जी, चावल, रोटी आदि शामिल किए जाते हैं, ताकि बच्चों को आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें।
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Mid Day Meal Scheme Financial Assistance – परिवर्तन लागत क्या होती है?
मिड डे मील योजना के तहत छात्रों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए सरकार परिवर्तन लागत (Cooking Cost) प्रदान करती है। यह वह धनराशि होती है, जिसका उपयोग सब्जी, तेल, मसाले और अन्य खाद्य सामग्रियों की खरीद के लिए किया जाता है।
सरकार इस योजना के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय साझेदारी के तहत धन आवंटित करती है। केंद्र सरकार एक निश्चित राशि देती है, जबकि राज्य सरकार भी अपने हिस्से का योगदान करती है।
परिवर्तन लागत का वर्गीकरण
स्तर | लागत प्रति छात्र प्रति दिन (रुपये) | राज्यांश (रुपये) |
---|---|---|
प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1-5) | ₹4.97 | ₹1.99 |
उच्च प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 6-8) | ₹7.45 | ₹2.98 |
Mid Day Meal Was First Started in Which State?
मध्याह्न भोजन योजना की शुरुआत सबसे पहले तमिलनाडु राज्य में की गई थी। यह 1962 में तत्कालीन मुख्यमंत्री के. कामराज के नेतृत्व में शुरू की गई थी। इसके प्रभावी परिणामों को देखते हुए, भारत सरकार ने इसे 1995 में पूरे देश में लागू किया।
Implementation of Mid Day Meal Program
- खाद्यान्न की आपूर्ति:
- खाद्यान्न (गेहूं और चावल) फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा निःशुल्क प्रदान किया जाता है।
- सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान से ग्राम प्रधान को खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।
- भोजन निर्माण और वितरण:
- ग्रामीण क्षेत्रों में भोजन निर्माण का कार्य ग्राम पंचायतों/वार्ड सभासदों की देखरेख में होता है।
- शहरी क्षेत्रों में भोजन बनाने का कार्य अधिकतर स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा किया जाता है।
- किचन शेड और उपकरणों की व्यवस्था:
- भारत सरकार द्वारा प्रत्येक विद्यालय को 1.19 लाख रुपये किचन शेड निर्माण के लिए दिए जाते हैं।
- 10,000 से 25,000 रुपये किचन उपकरणों की खरीद के लिए प्रदान किए जाते हैं।
रसोइयों का वेतन कितना है?
मिड डे मील योजना के तहत काम करने वाले रसोइयों को सरकार द्वारा निर्धारित वेतन मिलता है। यह वेतन राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संयुक्त योगदान से दिया जाता है। आमतौर पर, प्रति माह ₹1,500 से ₹2,000 तक वेतन दिया जाता है, हालांकि कुछ राज्यों में यह राशि कम या अधिक हो सकती है।

सरकारी स्कूल में खाना बनाने वाली का वेतन कितना है 2025 में?
2025 में सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना के तहत काम करने वाली रसोइयों का वेतन अभी भी ₹1,000 – ₹1,500 प्रति माह रहने की संभावना है। हालांकि, कुछ राज्यों में यह बढ़कर ₹2,000 तक किया जा सकता है।
Monitoring of Mid Day Meal Programme
योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर निगरानी समितियाँ बनाई गई हैं। योजना के तहत भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियमित निरीक्षण और निगरानी की जाती है। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर समितियां और अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।
जिला स्तरीय समिति:
पद | भूमिका |
---|---|
जिलाधिकारी | अध्यक्ष |
मुख्य विकास अधिकारी | सदस्य |
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी | सदस्य सचिव |
जिला कार्यक्रम अधिकारी | सदस्य |
जिला पूर्ति अधिकारी | सदस्य |
मुख्य चिकित्सा अधिकारी | सदस्य |

ब्लॉक स्तरीय समिति:
पद | भूमिका |
---|---|
उप-जिलाधिकारी | अध्यक्ष |
सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी | सदस्य सचिव |
खंड विकास अधिकारी | सदस्य |
प्रभारी चिकित्सा अधिकारी | सदस्य |
पूर्ति निरीक्षक | सदस्य |
Major Achievements of Mid Day Meal Scheme
- नवीन मेनू विद्यालयों की दीवारों पर पेंट किया गया है ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
- भोजन आपूर्ति में पारदर्शिता और निगरानी बढ़ाने के लिए डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम अपनाया गया है।
- खाद्यान्न की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अग्रिम भंडारण की व्यवस्था लागू की गई है।
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What is Mid Day Meal Program fAQs
मिड डे मील योजना से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके जवाब।
सरकारी स्कूल में खाना बनाने वाली का वेतन कितना है 2025 में?
मिड डे मील योजना के तहत काम करने वाले रसोइयों को सरकार द्वारा निर्धारित वेतन मिलता है। यह वेतन राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संयुक्त योगदान से दिया जाता है। आमतौर पर, प्रति माह ₹1,500 से ₹2,000 तक वेतन दिया जाता है, हालांकि कुछ राज्यों में यह राशि कम या अधिक हो सकती है।
मिड डे मील कौन सी सरकार देती है?
मिड डे मील योजना भारत सरकार द्वारा चलाई जाती है, लेकिन इसे लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है।
मिड डे मील का वेतन कितना है?
अगर आप रसोइयों के वेतन की बात कर रहे हैं, तो ₹1,000 – ₹1,500 प्रति माह दिया जाता है। शिक्षकों और सुपरवाइजरों को इस योजना के तहत अलग से वेतन नहीं मिलता।
मध्यान भोजन का पैसा कब आएगा?
मिड डे मील का पैसा राज्यों द्वारा समय-समय पर स्कूलों को जारी किया जाता है। रसोइयों का वेतन आमतौर पर तिमाही (तीन महीने में एक बार) आता है, लेकिन कभी-कभी इसमें देरी भी हो सकती है।
PM पोषण योजना कब शुरू हुई थी?
PM पोषण योजना (PM POSHAN) की शुरुआत 29 सितंबर 2021 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा की गई थी। यह मिड डे मील योजना का नया नाम है।
मिड डे मील का दूसरा नाम क्या है?
मिड डे मील का आधिकारिक नाम अब “पीएम पोषण योजना” (PM Poshan Scheme) रखा गया है।
मध्यान्ह भोजन योजना की शुरुआत कब हुई थी?
मिड डे मील योजना की शुरुआत 15 अगस्त 1995 को केंद्र सरकार द्वारा की गई थी। हालांकि, तमिलनाडु पहला राज्य था जिसने 1962 में यह योजना लागू की थी।
मिड डे मील योजना के तहत रसोइयों का वेतन कितना है?
मिड डे मील योजना के तहत रसोइयों को ₹1,000 से ₹1,500 प्रति माह वेतन दिया जाता है। कुछ राज्यों में अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।
Conclusion
Mid Day Meal Scheme एक महत्वपूर्ण सामाजिक कल्याण योजना है जो भारत में लाखों स्कूली बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान कर रही है। इससे न केवल छात्रों का स्वास्थ्य सुधर रहा है, बल्कि विद्यालयों में उपस्थिति दर भी बढ़ी है और कुपोषण की समस्या में कमी आई है। सरकार इस योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।