Mahatma Gandhi Biography in Hindi 2025 – महात्मा गांधी की जीवनी

महात्मा गांधी, जिन्हें “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने अहिंसा (Non-Violence) और सत्याग्रह (Satyagraha) के माध्यम से अंग्रेजों से भारत को स्वतंत्र कराने में अहम भूमिका निभाई।

उनका जीवन केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा है। गांधीजी का मानना था कि किसी भी संघर्ष को हिंसा के बिना भी जीता जा सकता है, और उन्होंने इसे अपने जीवन में साबित करके दिखाया।

इस आर्टिकल में हम Mahatma Gandhi Biography in Hindi में उनके जीवन से जुड़ी ऐसी अनसुनी और रोचक बातें जानेंगे। गांधीजी का जीवन केवल भारत की आजादी तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने सत्य, अहिंसा और मानवता के ऐसे संदेश दिए, जो आज भी पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा हैं।

आइए उनके जीवन को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि कैसे एक साधारण व्यक्ति अपने अटूट संकल्प और नैतिक मूल्यों से इतिहास रच सकता है।

Mahatma Gandhi Biography in Hindi

महात्मा गांधी का संक्षिप्त जीवन परिचय

घटनाविवरण
पूरा नाममोहनदास करमचंद गांधी
जन्म तिथि2 अक्टूबर 1869
जन्म स्थानपोरबंदर, गुजरात
पिता का नामकरमचंद गांधी
माता का नामपुतलीबाई
पत्नी का नामकस्तूरबा गांधी
शिक्षाबैरिस्टर (लंदन से कानून की पढ़ाई)
प्रमुख आंदोलनअसहयोग आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन
स्वतंत्रता संग्राम में योगदानअहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से भारत की आजादी में योगदान
निधन30 जनवरी 1948 (नाथूराम गोडसे द्वारा हत्या)

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: Mahatma Gandhi Biography in Hindi

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान (मुख्य मंत्री) थे, जबकि उनकी माता पुतलीबाई एक धार्मिक और संस्कारी महिला थीं।

बचपन से ही गांधीजी पर माता-पिता के नैतिक मूल्यों का गहरा प्रभाव पड़ा। उनकी माता उपवास, पूजा-पाठ और धार्मिक प्रवचनों में रुचि रखती थीं, जिसका असर गांधीजी के जीवनभर के सिद्धांतों में देखा जा सकता है।

बचपन और पारिवारिक जीवन

गांधीजी का बचपन अन्य बच्चों की तरह सामान्य था, लेकिन वे शर्मीले और अंतर्मुखी स्वभाव के थे। स्कूल में वे एक औसत छात्र थे, लेकिन उनके अंदर सत्य और ईमानदारी का गहरा भाव था।

उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण घटना तब घटी जब एक शिक्षक ने उन्हें नकल करने के लिए कहा, लेकिन गांधीजी ने इनकार कर दिया। यह घटना उनके सत्य के प्रति समर्पण को दर्शाती है। Mahatma Gandhi Biography in Hindi के अगली कड़ी मे अब हम उनकी पत्नी के बारे मे जानेगे।

Kasturba Gandhi – महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी

महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी (जिन्हें प्यार से ‘बा’ कहा जाता था) उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा थीं। वे न केवल एक आदर्श पत्नी थीं, बल्कि गांधीजी के स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक सुधार अभियानों में भी उनका पूरा साथ देती रहीं।

कस्तूरबा गांधी का प्रारंभिक जीवन

  • कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।
  • वे एक संपन्न व्यापारी गोकुलदास मकनजी की बेटी थीं।
  • बचपन से ही वे एक सरल, धार्मिक और सहनशील स्वभाव की थीं।

गांधीजी और कस्तूरबा का विवाह

गांधीजी ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि उन्होंने शुरुआती दिनों में कस्तूरबा पर कई बार अपने विचार थोपने की कोशिश की, लेकिन कस्तूरबा हमेशा अपने आत्मसम्मान को बनाए रखते हुए निर्णय लेती थीं।

1882 में, जब महात्मा गांधी मात्र 13 वर्ष के थे, तब उनका विवाह कस्तूरबा गांधी से हुआ।

चूंकि यह बाल विवाह था, इसलिए शादी के बाद भी दोनों का बचपन एक साथ बीता।

Kasturba Gandhi – महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी

महात्मा गांधी शिक्षा और विदेश यात्रा

  • प्रारंभिक शिक्षा: गांधीजी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में पूरी की।
  • विवाह: 13 वर्ष की उम्र में उनका विवाह कस्तूरबा गांधी से कर दिया गया। उस समय बाल विवाह आम बात थी, लेकिन बाद में गांधीजी ने इस प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई।
  • उच्च शिक्षा: 1888 में, 19 वर्ष की उम्र में, गांधीजी इंग्लैंड गए, जहां उन्होंने लंदन के इनर टेम्पल से कानून की पढ़ाई की।
  • संघर्ष: इंग्लैंड में शुरू में उन्हें वहां की जीवनशैली अपनाने में कठिनाई हुई, लेकिन धीरे-धीरे वे वहां के माहौल में ढल गए। वे शाकाहारी बने रहे और शाकाहारी समाज (Vegetarian Society) के सदस्य भी बने।
  • कानून की पढ़ाई: 1891 में गांधीजी ने बैरिस्टर (वकील) की डिग्री प्राप्त की और भारत लौट आए।

दक्षिण अफ्रीका में जीवन बदलने वाला अनुभव

भारत लौटने के बाद उन्होंने वकालत शुरू की, लेकिन उन्हें खास सफलता नहीं मिली। इसी दौरान 1893 में वे एक कानूनी मामले के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए। वहां उन्हें नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा, जब उन्हें एक ट्रेन से सिर्फ इसलिए बाहर फेंक दिया गया क्योंकि वे भारतीय थे।

यह घटना उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बनी और उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष करना शुरू कर दिया। गांधीजी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा न केवल उनके संघर्ष की नींव थी, बल्कि यही अनुभव आगे चलकर उनके सत्य, अहिंसा और न्याय के मार्गदर्शक सिद्धांत बने।

Struggles in South Africa – दक्षिण अफ्रीका का संघर्ष

गांधीजी को वकालत करने के लिए 1893 में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा, जहाँ उन्होंने भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव (Racial Discrimination) को देखा। यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने उन्हें एक नेता के रूप में आकार दिया।

प्रमुख घटनाएँ:

  • पीटरमैरिट्सबर्ग रेलवे स्टेशन घटना: गांधीजी को ट्रेन से धक्का देकर बाहर निकाल दिया गया, क्योंकि वे गोरे और काले लोगों के लिए अलग-अलग डिब्बों के नियम का विरोध कर रहे थे।
  • पहला सत्याग्रह: 1906 में, दक्षिण अफ्रीका में पहली बार सत्याग्रह आंदोलन किया, जो आगे चलकर भारत की आज़ादी का मुख्य हथियार बना।
  • 1915 में भारत वापसी: 21 साल बाद, गांधीजी भारत लौटे और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए।

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Return to India and Role in Freedom – भारत वापसी और स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

1915 में महात्मा गांधी भारत लौटे, लेकिन यह वापसी सिर्फ एक यात्रा नहीं थी, बल्कि भारत की आज़ादी की लड़ाई की नींव रखने का महत्वपूर्ण कदम थी। दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह और अहिंसा के सफल प्रयोग के बाद, गांधीजी भारत आए और देश के राजनीतिक और सामाजिक हालात को समझने के लिए विभिन्न हिस्सों की यात्रा की।

भारत में शुरुआती दौर (1915-1919):

  • गांधीजी ने सबसे पहले साबरमती आश्रम (अहमदाबाद) की स्थापना की, जो आगे चलकर उनके सत्याग्रह और आंदोलनों का केंद्र बना।
  • 1917 में चंपारण सत्याग्रह: यह भारत में गांधीजी का पहला बड़ा आंदोलन था, जिसमें उन्होंने नील किसानों के अधिकारों के लिए अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन किया।
  • 1918 में खेड़ा सत्याग्रह: किसानों पर भारी कर लगाए गए थे, जिसे माफ करवाने के लिए गांधीजी ने अहिंसक आंदोलन चलाया और सफलता हासिल की।

राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व (1920-1947):

गांधीजी के नेतृत्व में भारत का स्वतंत्रता संग्राम और भी सशक्त हुआ। उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कई बड़े आंदोलन चलाए:

असहयोग आंदोलन (1920-1922):

    गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाया, जिसमें ब्रिटिश वस्त्रों का बहिष्कार और सरकारी नौकरियों से इस्तीफा देने की अपील की गई।

    हालांकि, चौरी-चौरा कांड में हिंसा होने के कारण गांधीजी ने इसे वापस ले लिया।

    असहयोग आंदोलन (1920-1922)

    दांडी मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930):

      दांडी मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930)

      गांधीजी ने नमक कानून तोड़ने के लिए 240 मील लंबी दांडी यात्रा की, जिससे ब्रिटिश शासन की नींव हिल गई।

      भारत छोड़ो आंदोलन (1942):

        द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गांधीजी ने “अंग्रेजों भारत छोड़ो” का नारा दिया।

        तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का निर्णायक मोड़ बना।

        भारत छोड़ो आंदोलन (1942)

        गांधीजी के नेतृत्व में हुए इन आंदोलनों ने भारत की आजादी की राह को आसान बनाया और आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ। हालांकि, यह स्वतंत्रता विभाजन के दर्द के साथ आई, जिससे गांधीजी बहुत व्यथित हुए। लेकिन उनके विचार और सिद्धांत आज भी जीवित हैं और प्रेरणा देते हैं।

        Independence and Partition – स्वतंत्रता और विभाजन

        भारत को 15 अगस्त 1947 को आज़ादी मिली, लेकिन यह स्वतंत्रता विभाजन की पीड़ा के साथ आई। महात्मा गांधी स्वतंत्रता के पक्षधर थे, लेकिन वे भारत के विभाजन के खिलाफ थे। उनका मानना था कि हिंदू और मुसलमान भाई-भाई की तरह रह सकते हैं और देश को धर्म के आधार पर बांटना उचित नहीं होगा।

        स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण में गांधीजी की भूमिका:

        • 1946 में सांप्रदायिक दंगे: बंगाल, बिहार और पंजाब में दंगे भड़क उठे। गांधीजी ने हिंसा रोकने के लिए नोआखली (अब बांग्लादेश में) में पदयात्रा की और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।
        • माउंटबेटन योजना (1947): गांधीजी ने विभाजन के फैसले को अस्वीकार कर दिया, लेकिन जब स्थिति हाथ से निकलने लगी, तो उन्होंने इसे अनिच्छा से स्वीकार किया।
        • स्वतंत्रता की रात: जब पूरा देश आज़ादी का जश्न मना रहा था, तब गांधीजी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा रोकने के लिए उपवास कर रहे थे।

        गांधीजी का सपना था कि स्वतंत्र भारत में सभी धर्मों के लोग समान अधिकारों के साथ रहें, लेकिन विभाजन के कारण लाखों लोग बेघर हो गए और हिंसा में हजारों लोगों की जान चली गई। वे इस विभाजन को अपनी सबसे बड़ी असफलता मानते थे।

        Assassination and Legacy – मृत्यु और मिरासा

        स्वतंत्रता के बाद भी गांधीजी का संघर्ष समाप्त नहीं हुआ। वे सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने के लिए लगातार प्रयासरत रहे। लेकिन कुछ कट्टरपंथी उनके विचारों से सहमत नहीं थे और उन्हें राष्ट्र-विरोधी मानने लगे।

        गांधीजी की हत्या:

        30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने दिल्ली के बिड़ला भवन में गांधीजी को गोली मार दी।

        हत्या के समय गांधीजी के अंतिम शब्द थे “हे राम”, जो उनके शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक स्वभाव को दर्शाते हैं।

        नाथूराम गोडसे का मानना था कि गांधीजी की नीतियां हिंदुओं के खिलाफ थीं और वे पाकिस्तान के प्रति नरम रुख अपनाते थे।

        गांधीजी की हत्या

        गांधीजी की विरासत (Legacy):

        • भारत में प्रभाव:
          • भारतीय संविधान में उनके विचारों की झलक देखी जा सकती है।
          • सामाजिक न्याय, अहिंसा और समानता के उनके सिद्धांत आज भी प्रेरणादायक हैं।
          • उनके सम्मान में 2 अक्टूबर को “गांधी जयंती” के रूप में मनाया जाता है।
        • अंतरराष्ट्रीय प्रभाव:
          • नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ लड़ाई में गांधीजी के अहिंसा सिद्धांत को अपनाया।
          • मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अमेरिका में अश्वेतों के अधिकारों के लिए गांधीजी के सत्याग्रह और अहिंसा के विचारों का अनुसरण किया।
          • संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 2 अक्टूबर को “अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस” घोषित किया।

        गांधीजी की मृत्यु के बाद भी उनका जीवन और उनके विचार लोगों को प्रेरित करते आ रहे हैं। उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं और दुनिया भर में शांति और अहिंसा के प्रतीक के रूप में जानी जाती हैं।

        Principles of Non-Violence and Satyagraha – अहिंसा और सत्याग्रह

        महात्मा गांधी के विचारों की सबसे बड़ी ताकत थी अहिंसा और सत्याग्रह। उन्होंने इन सिद्धांतों को केवल एक रणनीति के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन के रूप में अपनाया।

        अहिंसा (Non-Violence):

        • गांधीजी मानते थे कि किसी भी समस्या का हल हिंसा से नहीं निकाला जा सकता।
        • उनका कहना था कि “अगर कोई तुम्हारे एक गाल पर थप्पड़ मारे, तो दूसरा गाल आगे कर दो।”
        • उन्होंने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में हिंसा का पूरी तरह विरोध किया।

        गांधीजी के सबसे प्रसिद्ध नारे

        “करो या मरो” (Do or Die) – भारत छोड़ो आंदोलन (1942) के दौरान दिया गया।
        “अंग्रेजों भारत छोड़ो” – भारत को स्वतंत्र कराने के लिए।
        “सत्य ही ईश्वर है” – सत्य और अहिंसा के प्रति उनके विश्वास को दर्शाता है।

        गांधीजी के प्रमुख कोट्स –

        “बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो।” – महात्मा गांधी

        "बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो।" - महात्मा गांधी

        सत्याग्रह (Satyagraha):

        • सत्याग्रह का अर्थ है सत्य की ताकत के साथ अन्याय का विरोध
        • यह अहिंसा पर आधारित एक ऐसा आंदोलन था, जिसमें लोगों को किसी भी स्थिति में सत्य पर अडिग रहने के लिए प्रेरित किया गया।
        • गांधीजी ने इसका उपयोग ब्रिटिश शासन के खिलाफ किया और नमक सत्याग्रह (Salt March) जैसे कई अहिंसक आंदोलनों का नेतृत्व किया।

        स्वदेशी आंदोलन:

        • गांधीजी ने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और खादी पहनने पर जोर दिया।
        • उनका मानना था कि आत्मनिर्भरता से ही भारत को सशक्त बनाया जा सकता है।

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        Conclusion – निष्कर्ष

        महात्मा गांधी का जीवन सादगी, सत्य और अहिंसा का प्रतीक था। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं और हमें सिखाते हैं कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर भी दुनिया बदली जा सकती है।

        Mahatma Gandhi Biography in Hindi FAQs

        Mahatma Gandhi Biography in Hindi से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

        महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता क्यों कहा जाता है?

        महात्मा गांधी को “राष्ट्रपिता” (Father of the Nation) इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से भारत की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने बिना हथियार उठाए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया, जिससे वे पूरे राष्ट्र के लिए एक आदर्श बन गए।

        महात्मा गांधी ने कौन-कौन से आंदोलन किए थे?

        गांधीजी ने भारत की आज़ादी के लिए कई बड़े आंदोलन चलाए, जिनमें प्रमुख हैं:
        चंपारण सत्याग्रह (1917) – किसानों के अधिकारों के लिए
        असहयोग आंदोलन (1920) – ब्रिटिश सरकार का बहिष्कार
        दांडी मार्च / नमक सत्याग्रह (1930) – अन्यायपूर्ण नमक कानून के खिलाफ
        भारत छोड़ो आंदोलन (1942) – अंग्रेजों को भारत से बाहर करने के लिए

        गांधीजी की हत्या कब और कैसे हुई?

        महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने दिल्ली के बिड़ला भवन में गोली मारकर हत्या कर दी थी। गोडसे गांधीजी की अहिंसा और पाकिस्तान के प्रति उनकी नीतियों से असंतुष्ट था।

        महात्मा गांधी का पूरा नाम क्या था?

        गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

        गांधीजी की शिक्षा कहां हुई थी?

        गांधीजी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट, गुजरात में पूरी की और बाद में लंदन के इनर टेम्पल से कानून (Barrister) की पढ़ाई की।

        महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के विचारों में क्या अंतर था?

        गांधीजी अहिंसा और सत्याग्रह के पक्षधर थे और ब्रिटिश शासन को शांतिपूर्ण तरीके से हटाना चाहते थे।
        सुभाष चंद्र बोस ने सशस्त्र क्रांति (armed revolution) के जरिए भारत को स्वतंत्र कराने पर विश्वास किया और आज़ाद हिंद फौज (INA) का गठन किया।
        हालांकि दोनों का लक्ष्य स्वतंत्रता ही था, लेकिन उनकी राहें अलग-अलग थीं।

        महात्मा गांधी का जीवन किस तरह आज के युवाओं के लिए प्रेरणा है?

        गांधीजी का जीवन सादगी, अनुशासन, सत्य और अहिंसा की मिसाल है। आज के युवा उनसे सीख सकते हैं कि बिना हिंसा के भी किसी भी बड़े बदलाव को लाया जा सकता है और कठिन परिस्थितियों में भी सत्य के मार्ग पर चलते रहना चाहिए।

        क्या महात्मा गांधी को नोबेल पुरस्कार मिला था?

        नहीं, महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला, लेकिन उन्हें पांच बार नामांकित किया गया था। नोबेल कमेटी ने बाद में स्वीकार किया कि गांधीजी को यह पुरस्कार दिया जाना चाहिए था।

        गांधीजी की पत्नी कौन थीं और उनका क्या योगदान था?

        गांधीजी की पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपने पति का पूरा समर्थन किया और महिलाओं को शिक्षा एवं स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। वे खुद भी कई आंदोलनों में सक्रिय रूप से शामिल रहीं।

        महात्मा गांधी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य क्या हैं?

        गांधीजी को गुजरात हाईकोर्ट में वकालत का पहला केस हारना पड़ा था।
        वे फुटबॉल और क्रिकेट के शौकीन थे और दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने एक फुटबॉल क्लब भी बनाया था।
        गांधीजी को “महात्मा” की उपाधि रवींद्रनाथ टैगोर ने दी थी।
        उन्होंने एक बार मांस और शराब का सेवन किया था, लेकिन बाद में इसे पूरी तरह त्याग दिया।

        गांधीजी का सबसे प्रसिद्ध नारा कौन सा था?

        गांधीजी के सबसे प्रसिद्ध नारे थे:
        “करो या मरो” (Do or Die) – भारत छोड़ो आंदोलन (1942) के दौरान दिया गया।
        “अंग्रेजों भारत छोड़ो” – भारत को स्वतंत्र कराने के लिए।
        “सत्य ही ईश्वर है” – सत्य और अहिंसा के प्रति उनके विश्वास को दर्शाता है।

        गांधीजी की लिखी प्रमुख पुस्तकें कौन-कौन सी हैं?

        गांधीजी ने कई किताबें लिखीं, जिनमें प्रमुख हैं:
        “सत्य के प्रयोग” (My Experiments with Truth) – उनकी आत्मकथा
        “हिंद स्वराज” – भारतीय स्वतंत्रता और स्वशासन पर आधारित पुस्तक
        “Key to Health” – स्वास्थ्य और प्राकृतिक जीवनशैली पर लेख

        महात्मा गांधी की जयंती कब और कैसे मनाई जाती है?

        महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। इस दिन:
        भारत में राष्ट्रीय अवकाश होता है।
        स्कूलों और कॉलेजों में प्रेरणादायक भाषण और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
        इसे अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस (International Day of Non-Violence) के रूप में भी मनाया जाता है।

        महात्मा गांधी का स्वतंत्रता संग्राम में सबसे बड़ा योगदान क्या था?

        गांधीजी ने अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से पूरे भारत को एकजुट किया और स्वतंत्रता संग्राम को नया रूप दिया। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन किए, जिससे अंततः 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ।

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